Tuesday, August 10, 2010

आशा समुद्र के समान

आशा समुद्र के समान
जब शरीर में सात्विक रस रूपी मेघ बरसते हैं तब आयु रूपी नदी दिनोंदिन बढ़ती जाती है।

संसार में ऐसा कोई नहीं हुआ है जो मनुष्य की आशाओं का पेट भर सके। पुरुष की आशा समुद्र के समान है, वह कभी भरती ही नहीं।
मैं ईश्वर से डरता हूं। ईश्वर के बाद मुख्यत: उससे डरता हूं जो ईश्वर से नहीं डरता।
आनंद ही एक ऐसी वस्तु है जो आपके पास न होने पर आप दूसरों को बिना किसी असुविधा के दे सकते हैं।
शब्द में क्या रखा है
अमेरिका में आजकल सारा पॉलिन के 'रिफ्यूडिएट' की बड़ी चर्चा है। अंग्रेजी में ऐसा कोई शब्द नहीं होता। अपनी एक जनसभा में उन्होंने यह जुमला 'रिफ्यूज' और 'रिप्यूडिएट' जैसे दो शब्दों को मिला कर अपने आप गढ़ लिया। पॉलिन पिछले चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से वाइस प्रेजिडेंट पद की उम्मीदवार थीं।

बीती सर्दियों में मिशेल ओबामा ने एक राजकीय भोज में गाउन पहना था। उसकी रिपोर्टिंग करते हुए एसोशिएटेड प्रेस ने लिखा कि 'और मिशेल ने भारतीय डिजाइनर नईम खान द्वारा तैयार 'फ्लेश कलर' का गाउन पहन रखा था।' इस रिलीज पर पर एक एडिटर ने सवाल उठाया, फ्लेश कलर? किसके फ्लेश का कलर? उनका तो नहीं?
स्किन कलर यानी क्या
यूरोप और अमेरिका में 'फ्लेश कलर' फैशन सर्कल का आम जुमला है। लेकिन मिशेल वाली खबर के बाद फैशन की दुनिया में यह विवाद काफी तेज हो उठा कि फ्लेश या स्किन या न्यूड कलर किसे माना जाए? यूरोपीय देशों में यह पीले और गुलाबी रंग का मिश्रण है। लेकिन एशियाई देशों के लिए यह पीला और भूरा है। भारतीय डिजाइनर विजय अरोड़ा कहते हैं कि इसमें कई शेड्स हैं इसलिए हमें ऐसे शब्दों के अमेरिकी अर्थ और भाव से बाहर निकलने की कोशिश करनी चाहिए।
शब्द से बड़ा अर्थ

Wednesday, August 4, 2010

Soical Networking world  अब कंपनी भी देख रही है आपकी नेटवर्किंग प्रोफाइल

सोशल नेटवर्किंग साइट्स की सहायता से हमेशा अपने दोस्तों के टच में रहने वाले इनकी वजह से तमाम परेशानियां भी झेल
रहे हैं। दरअसल, तमाम कॉरपोरेट कंपनियां अपने एंप्लॉइज को करीब से जानने के लिए उसके नेटवर्किंग साइट अकाउंट को फॉलो कर रही हैं। ऐसे में लोगों को अपना अकाउंट समझदारी से हैंडल करने की जरूरत है:
इसमें कोई दो राय नहीं है कि आजकल लोगों को इंटरनेट की दुनिया काफी पसंद आ रही है। लेकिन वर्चुअल वर्ल्ड के बढ़ते खतरों ने हमें सावधान रहने पर भी मजबूर कर दिया है। यही वजह है कि पहले ज्यादा लंबी फ्रेंड लिस्ट का कॉम्पिटीशन करने वाले लोग अब एक-एक फ्रेंड को काफी सोच-समझकर ऐड कर रहे हैं। दरअसल, कई लोगों को हुई परेशानी ने बाकियों को समझदारी बरतने के लिए मजबूर कर दिया है।

शब्दों में भी पिरो सकते हैं सुंदर करियर

अगर आपको पढ़ना -लिखना अच्छा लगता है, तो संभव है कि आपका मन लेखक बनने का भी करता हो। यह ऐसा फील्ड है, ज
िसमें किसी इंस्टिट्यूट से पढ़ाई की खास भूमिका नहीं होती। आपको मन की कल्पनाओं को कागज पर उकेरने की कला सीखनी पड़ती है। आइए, जानते हैं इस फील्ड में करियर की संभावनाओं के बारे में : लेखक बनने के लिए सबसे पहले पढ़ने-लिखने में रुचि होनी चाहिए। लेखक को घुमक्कड़ प्रवृत्ति का और अनुशासित होना चाहिए। हर दिन कुछ न कुछ लिखना बहुत जरूरी है। ज्यादातर युवा सोचते हैं कि लिखने के लिए अच्छे मूड का होना जरूरी है, लेकिन यह दरअसल एक भ्रम है। लिखना एक कला है। ठीक उसी तरह, जैसे कढ़ाई-बुनाई या लकड़ी पर नक्काशी उभारना। अच्छे लेखन के लिए भी लगातार अभ्यास करना पड़ता है। सिर्फ तभी आप हर बार पहले से बेहतर लिख सकते हैं।
इस करियर के लिए अनुशासन भी बहुत महत्वपूर्ण है। आप जितने अनुशासित होंगे, उतने ही मजबूत होंगे। कई बार कुछ अच्छा नहीं लिख पाते या बार-बार लिखना पड़ता है, यह कमी भी लगातार अभ्यास से ही दूर होती है। अगर आप क्षमतावान हैं, तो भी कड़ी मेहनत से नहीं भाग सकते।

Tuesday, August 3, 2010

Tips to 'unfriend'
Here are reasons why you should ‘unfriend’ someone in your friend list...

They are not your friends in real life. But they are still your friends on social networking sites. Well, it’s high time you ‘unfriend-ed’ (yes ‘unfriend’ is officially a word in the New Oxford American Dictionary) them!
Here’s why...
- He/she has status updates every few minutes about how urine therapy helps you lead a disease-free life.
- You saw her/him in the morning at the school/college/work canteen, but her/his status updates reads —Having the best time in Paris. London trip was eventful... etc. You do not need liars and wannabes as your friends.
- He/she hasn’t broken up with you in person, but has changed his/her relationship status. Just kick him/her right our of your ‘friends’ list!
अब छात्र बना रहे हैं सेटेलाइट
भारत की युवा प्रतिभा का लोहा दुनिया मान रही है। नब्बे के दशक में जब दुनिया भर में आईटी क्रांति का बिगुल फूंका गया था तब भारत ही इस क्रांति का पहरुआ बना था। और अब हर कोई इस बात से वाकिफ है कि आईटी की दुनिया में भारत के युवाओं की तूती बोलती है। पिछले दो दशकों में आईटी क्रांति के साथ-साथ स्पेस की दुनिया में नई इबारत लिखी लिखी जा रही थी। इसी क्रम में भारत ने स्पेस में कई सेटेलाइट छोड़े और चांद मिशन में कामयाबी हासिल की।
आईटी की तरह अंतरिक्ष अभियानों को भी युवाओं की भागीदारी ने सफल बनाया। हाल ही में हैदराबाद और बेंगलुरू के छात्रों ने पिको सेटेलाइट स्टुडसैट को छोड़कर दुनिया को चौंका दिया है। प्रमुख बात है कि यह भारत का पहला पिको सेटेलाइट है। इसका वजन मात्र 850 ग्राम है। यही नहीं, अभी तक इसरो ने पिको सेटेलाइट लांच नहीं किया है।